कन्या भ्रूणहत्या: मानवता पर एक अभिशाप

ऐसा माना जाता है कि भ्रूण (अजन्मा शिशु) ध्वनि संगीत वाद्ययंत्रks व कंपन से उत्तेजित होता है तथा आवाज़ को महसूस कर प्रतिक्रिया करता हैA वेद तथा पुराण बताते हैं कि गर्भ में भ्रूण सुन रहा होता है और मंत्रों से प्रभावित होता है । प्राचीन भारतीय प्रसिद्ध साहित्य महाभारत में एक उदाहरण अभिमन्यु का है। अर्जुन और सुभद्रा के पुत्र अभिमन्यु ने अपनी मां के गर्भ में घातक और लगभग अभेद्य चक्रव्यूह में प्रवेश करने के बारे में सुना और सीख लिया जबकि अर्जुन सुभद्रा से बात कर रgs थेsA दूसरा उदाहरण ऋषि अष्टावक्र का है जो माता के गर्भ में एक अजन्मे बच्चे के रूप में अपने दादा ऋषि उदलक को सुन कर वेदों पर प्रभुत्व प्राप्त करते हैं ।


वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि, 12 हफ्तों तक सुनने का अंग कोक्लीआ जो भीतरी कान में मौजूद होता है, वह विकसित हो चुका होता है। अजन्मा शिशु अपनी माता की भावनाओं का जवाब देता है और दर्द भी महसूस करता है। यह तनाव संबंधी हार्मोन जिसमें कोर्टिसोल और एंडोर्फिन शामिल हैं, जारी कर के, तनाव पूर्ण स्थितियों का जवाब देता है। यह पता लगाना मुश्किल है कि क्या अजन्में बच्चे को दर्द महसूस होता है या नहीं क्योंकि दर्द का अनुभव व्यक्तिगत है।


यू-एस-ए- ¼vesjhdk½ के यूटा में कानून के अनुसार, डॉक्टरों ¼प्रसूतिशास्री½ को 20 सप्ताह या उसके बाद के गर्भपात करने से पहले, भ्रूण को बेहोश ¼संज्ञाहरण½ करना अनिवार्य है, यह मानते हुए कि भ्रूण उस समय दर्द महसूस करता है । इस अवधारणा के कई विरोधी हैं जिसमें प्रमुख स्त्री रोग विशेषज्ञ] गाइनकॉलजस्ट शामिल हैं। वे कहते हैं कि दर्द को महसूस करने ds लिए दर्द तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं हुआ होता हैं ।


भ्रूणशास्री मानते हैं कि, भ्रूण में दर्द रिसेप्टर्स ¼दर्द½ को महसूस करने वले अंग लगभग 7 सप्ताह से 15 सप्ताह तक विकसित होते हैं। लगभग 19 सप्ताह में रीढ़ की हड्डी में न्यूरॉन्स विकसित होते हैं और 24 सप्ताह में स्ibuksथैलमिक पथ कार्यात्मक परिपक्वता प्राप्त करते हैं। जर्मन विद्वान लियुनिंग आर- का मानना था कि, जब दर्द का आभास शुरू होता है, तब चेतना का आगमन होता है।
न्यूयॉर्क के प्रसिद्ध प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ बर्नार्ड एन- नाथेनसन ने एक एंटी- गर्भपात वृत्तचित्र, डॉक्युमेंटरी- फ़िल्म “मूक चीख” में गर्भपात का एक जघन्य और नृशंस रूप दिखायाA नाथेनसन ने गर्भाशय में बारह सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात के अल्ट्रासाउंड फुटेज का वर्णन किया है। गर्भपात प्रक्रिया के दौरान भ्रूण को दर्द घबराहट और बेचैनी होते देखा जा सक्ता है। नाथेनसन कहते हैं कि इस प्रक्रिया के दौरान भ्रूण ने अपना मुंह खोला और वह bसे “मूकचीख” कहते हैंA बर्नार्ड एन- नाथेनसन एक समय पश्चिम में सबसे बड़े गर्भपात सुविधा के निदेशक थे। उनका माननाथा कि , एक हिंसक कृत्य के रूप में अजन्मे बच्चे के गर्भपात को रोक दिया जाना चाहिए और हमें इकट्ठे हो कर इस हत्या को रोकना होगा।


12 हफ्तों में भ्रूण एक छोटे बच्चे की तरह दिखता है और सभी पहचाने जाने योग्य अंग विकसित हो हो ते हैं। आधुनिक विज्ञान और टेक्नॉलॉजी की सहायता से हम भ्रूण की तस्वीरें और वीडियो देख सकते हैं। 12 हफ्ते की उम्र के अजन्मे बच्चे में पूर्ण जीवन होता है। सद्गुरु जग्गी वासुदेव के अनुसार इस अवधि ¼12 हफ्ते½ के दौरान भ्रूण में अंतर आत्मा प्रवेश करती हैA लेखक का मानना है कि इस ग्रह पर fdसी को भी अजन्मे बच्चे का जीवन लेने का अधिकार नहीं है। भ्रूण को निरस्त करने के लिए सभी कानून जीवन विरोधी और अनैतिक हैं। हम अपने इस नन्हे अजन्मे सदस्य, जो अपनी मां के शरण ¼गर्भ½ में है , उसे कैसे कुचल कर , नष्ट कर हत्या करने का अधिकार नहीं है।


21 सप्ताह और 6 दिन ¼153 दिन½ में पैदा होने वाली 284 ग्राम वजन की अमिल्लिया टेलर दुनिया की सबसे छोटी जीवित कन्या है। इस बालिका की कहानी रोंगटे खड़े कर देती है। बच्ची ने गर्भ में अपनी यात्रा का आधा भाग पार किया था और गर्भपात सीमा के दो सप्ताह पहले उसका जन्म हुआ था। संयुक्त राज्य अमेरिका में गर्भपात की सीमा 24 सप्ताह है। भ्रूण हत्या के इस आपराधिक कृत्य के औचित्य के खिलाफ यह जीवित बच्ची, चमत्कारिक उदाहरण है।


भारत में कानूनी गर्भपात सीमा, गर्भावस्था के 20 सप्ताह तक है ¼मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 1971, गर्भावस्था अधिनियम½ । गर्भनिरोधक अथवा परिवार नियोजन के उपाय विफल होus के ढोंग ¼बहाने½ के तहत, हमारे देश के कुछ हिस्सों में हजारों में गर्भपात किये जा रहे हैं और कन्या भ्रूण हत्या हो रही है। यह अभिभावक द्वारा गर्भ में पल रहे बPph की सुनियोजित सेक्स चयनात्मक ¼बालक पाने की भूक के कारण½ हत्या है। इसके परिणाम स्वरूप महिला लिंग अनुपात में गिरावट आ गइ है। इस तरह की कुरीति को रोकने के लिए कानून ¼पी- सी- पी- एन- डी- टी- एक्ट½ मौजूद है, लेकिन इसे ¼कुरीति½ रोकना मुश्किल हैA


यद्यपि 2001 के आंकड़ों के अनुसार 1000 पुरुष के मुकाबले 933 मादा,a थी, लेकिन 2011 में ये आंकड़ा 940 तक पहूंच गयाA आंकड़ों में सुधार हुआ है, लेकिन इसे कुछ और बेहतर होना चाहिएA इस कार्य हेतु सामाजिक जागरूकता और जागृति और नैतिक मूल्यो को लगातार प्रजा के चित्त में बैठाना होगा। हमारे समाज को यह अवश्य जानना चाहिए कि अजन्मे बच्चे का दिल 4 हफ़्ते में अपना कार्य शुरू कर देता है और अजन्मे बच्चे को परिवार का एक हिस्सा माना जाना चाहिए।


लेखक का मानना है कि , जब तक कि नागरिकों, परिवार के सदस्यों और विशेष रूप से मां की धारणा भ्रूण के प्रति सकारात्मक और भावनात्मक नहीं होगी, तब तक कन्या भ्रूण हत्या होती रहेगीA लेखक अनुसार, कन्या भ्रूण, माँ देवी शक्ति का अवतार है A लेखक का मानना है कि एक राष्ट्रीय चरित्र dk पुनर्निर्माण किया जाना चाहिए और नागरिकों के मन ¼मस्तिष्क के भाव½ को बदलने के लिए, महिला रोल मॉडल को सम्मानित किया जाना चाहिए एवं कन्या का जन्मोत्सव मनाना चाहिए।


हमारे समाज में कन्या के प्रति भेद भाव सभी वर्गों में मौजूद हैA जन्म जात शारीरिक विसंगतियों के साथ जन्मी बच्ची का दर्द अकल्पनीय है A इन लड़कियों को समाज में सबसे अवांछित समझा जाता है A हमें इन लड़कियों के स्वास्थ्य और भलाई के लिए प्रयास जारी रखना चाहिएA प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा शुरू की गई एक पहल: “बेटी बचाओ, बेटी पढाओ” dk vfHk;ku, इस दिशा की ओर प्रेरणा स्रोतः हैA


क्या हमें वैज्ञानिक होने की ज़रूरत है, या हमें आध्यात्मिक होना चाहिए या फिर धार्मिक, यह एक व्यक्तिगत प्रश्न हैA हम अनसुलझे जवाब खोजने के लिए हमारे पवित्र धर्मग्रंथ महाभारत का सहारा लेते हैं। महाभारत युद्ध के अंत के नजदीक में अश्वFkkमा ने अभिमन्यु के अजन्मे बच्चे को मारने के लिए ब्रह्मkस्त्र ¼ब्रह्मशिर अस्त्र½ को चलाया, तब भगवान श्री कृष्णा, उत्तरा के गर्भ में अभिमन्यू के बेटे परीक्षित का जीवन बचाते है, नया जीवन देते हैं और गर्भपात ¼भ्रूण हत्या½ को रोकrs gaS। यह आपको तय करना होगा की आप कौनसा पथ तय करेंगे? हत्यारे अश्वथामा का या उद्धार कर्ता भगवान कृष्ण का? मात्र भगवान का नाम जपना पर्याप्तन हीं है। हमें धार्मिकता के पथ का पालन करना चाहिए और ज्ञान और परमात्मा के उपदेश का अनुसरण करना चाहिएA भ्रूण के जीवन को समाप्त करने के इस भयंकर पाप को रोकना चाहिएA वर्तमान समय में कृष्ण आपकी चेतना है और यह अजन्मे बच्चे को अपनी शरण में सहेजने ¼रक्षा करने½ के लिए संकल्पित होना चाहिए। याद रखें कन्या भ्रूण हत्या मानवता पर एकअभिशाप है।

भगवान श्री कृष्णा उत्तरा के गर्भ में अभिमन्यू के बेटे परीक्षित कबचाते

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